शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017

my e-book: पगली , तुम कब समझोगी ?!

my e-book: पगली , तुम कब समझोगी ?!:  रे  पगली ....  तुम  नहीं  समझोगी !  कभी  भी ...  सही  मायने  !  समझकर  भी .....  न  कह सकोगी !  न सह  सकोगी !  बहरे  समाज ने ...

1 टिप्पणी: