गुरुवार, 23 सितंबर 2021

फेसबुक से

 प्रतिभा के हाइकु

1

कड़वी बात

मत कहे मुख से

रहे सुख से 

2

कांटो ने कहा

बहुत दुख हुआ

फूलों ने सहा

3

आसमां पर

तारों की महफिल

चांद है दिल

4

चांद से मुख

 छुपा लेता अक्सर

भीषण दुख

5

मन के भाव 

समझ का अभाव 

दे गए घाव

6

अक्षर नेक

 आकार निराकार 

ईश्वर एक

7

उसकी चाह

 रोज देती दस्तक 

मन की राह

8

इंद्रधनुष 

धरती हंस पड़ी

 अंबर खुश

9

कर दे क्षमा 

खुद ही हरितमा

 धरा तू ही मां

10

आंखें देखती

 ख्वाब कितने सारे

 बिना विचारे

_________________डॉ प्रतिभा स्वाति



शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017

my e-book: पगली , तुम कब समझोगी ?!

my e-book: पगली , तुम कब समझोगी ?!:  रे  पगली ....  तुम  नहीं  समझोगी !  कभी  भी ...  सही  मायने  !  समझकर  भी .....  न  कह सकोगी !  न सह  सकोगी !  बहरे  समाज ने ...

DR. PRATIBHA SOWATY: अंदाज़ अपना -अपना ....

DR. PRATIBHA SOWATY: अंदाज़ अपना -अपना ....:     तृष्णा                कोई  कहता बंगाली  है तो किसी  ने  कहा नहीं  क्रिश्चियन  है ! कुछ उसके  महाराष्ट्रियन होने का अंदाज़  लगा  रहे  थ...

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