--------- हालाकि ये ' टंका ' है . मुझे मालूम है .पर ....
जाने क्यूँ एक सवाल अक्सर सर उठाता है , हम डरते कब से हैं ? किससे हैं ? और आख़िर क्यूँ ?
क्या इसीलिए बचपन की हर कहानी , एक था राजा से शुरू होती थी ? क्या इसीलिए आ जाती थी परियां / राजकुमार / फूल /खुशबू /चाँद /तारे ?
यदि ऐसा था तब क्या ' ज़ुरूरत' थी इस बात की, कि कोई जादूगर या राक्षस टपक पड़े बीच में ! कोई काली बिल्ली ! और .... क्या इसी तरह शुरुआत होती है डर की ?
और फिर अँधेरे भी डराने लगते हैं ! रस्सी सांप बन जाती है ! और यदि वक्त पर सूरज न निकले तब उसे ' अजगर ' बन जाने में कितनी देर लगेगी ?
-------------- जारी
जाने क्यूँ एक सवाल अक्सर सर उठाता है , हम डरते कब से हैं ? किससे हैं ? और आख़िर क्यूँ ?
क्या इसीलिए बचपन की हर कहानी , एक था राजा से शुरू होती थी ? क्या इसीलिए आ जाती थी परियां / राजकुमार / फूल /खुशबू /चाँद /तारे ?
यदि ऐसा था तब क्या ' ज़ुरूरत' थी इस बात की, कि कोई जादूगर या राक्षस टपक पड़े बीच में ! कोई काली बिल्ली ! और .... क्या इसी तरह शुरुआत होती है डर की ?
और फिर अँधेरे भी डराने लगते हैं ! रस्सी सांप बन जाती है ! और यदि वक्त पर सूरज न निकले तब उसे ' अजगर ' बन जाने में कितनी देर लगेगी ?
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